दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके: सुरक्षा ऑडिट की आवश्यकता और सरकार की तत्परता

Navbharat Times | Wed, 25 Jun 2025
दिल्ली-एनसीआर में सोमवार को भूकंप के झटके लगे, जिससे लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र लाल किले से 10 किलोमीटर दूर था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, यह टेक्टोनिक भूकंप नहीं था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इमारतों का सेफ्टी ऑडिट कराने का आदेश दिया था, लेकिन स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है।
मध – केसांना चमक, मऊपणा आणि सुरक्षा देणारा घटक
दिल्ली-एनसीआर में सोमवार की सुबह धरती हिलने से लोग डर गए. भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोग अपने घरों से बाहर निकल आए. नैशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, यह भूकंप टेक्टोनिक नहीं था. भूकंप का केंद्र लाल किले से 10 किलोमीटर साउथवेस्ट में था. एनसीएस के हेड ओपी मिश्रा ने बताया कि छोटे-छोटे भूकंप आने से बड़े भूकंपों की संभावना कम हो जाती है. दिल्ली हाई कोर्ट ने 2023 में दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को इमारतों का सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्देश दिया था, लेकिन 2025 तक भी स्थिति स्पष्ट नहीं है.

सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. लोग नींद से जाग गए और डर के मारे घरों से बाहर भागने लगे. यह झटका इतना तेज था कि कई जगहों पर महसूस हुआ. लोग तुरंत वट्सऐप पर मैसेज करने लगे.

नैशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के हेड ओपी मिश्रा ने बताया कि यह भूकंप टेक्टोनिक नहीं था. टेक्टोनिक भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट से आते हैं. ये भूकंप बहुत खतरनाक होते हैं और फॉल्ट लाइन पर ही आते हैं. फॉल्ट लाइन वह जगह होती है जहां टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद रहती हैं.

भूकंप का केंद्र लाल किले से 10 किलोमीटर साउथवेस्ट में था. दिल्ली में आमतौर पर हिमालय और दूर-दराज के इलाकों में आए भूकंप के झटके महसूस होते हैं. हिमालय में 1803 में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था. 1991 में उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता का, 1999 में चमौली में 6.6 तीव्रता का और 2015 में नेपाल के गोरखा जिले में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इन भूकंपों से दिल्ली को भी नुकसान हुआ था. हिंदुकुश रीजन में आए तेज भूकंप भी दिल्ली को दहलाते हैं. 1720 में दिल्ली में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था. दिल्ली के पास मथुरा में 1842 में 5 तीव्रता का, बुलंदशहर में 1956 में 6.7 तीव्रता का और मुरादाबाद में 1966 में 6.7 तीव्रता का भूकंप आ चुका है.

करोल बाग के अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने ऐसा भूकंप पहले कभी महसूस नहीं किया था. तेज झटके के साथ आवाज ने उन्हें डरा दिया. उन्होंने तुरंत अपने बच्चे और पत्नी को उठाया और बिल्डिंग से बाहर आ गए. द्वारका की प्रेरणा कोचर ने बताया कि उन्हें भूकंप के झटके तो महसूस नहीं हुए, लेकिन उन्हें बिल्डिंग में शोर सुनाई दिया. उन्हें लगा कि कुछ हादसा हुआ है. जैसे ही उन्होंने बालकनी से बाहर झांका, उन्हें पता चला कि भूकंप आया है और वह भी अपने परिवार के साथ बिल्डिंग से बाहर आ गईं. बुध विहार एरिया से एक सीसीटीवी फुटेज वायरल हो रही है, जिसमें भूकंप की वजह से गाड़ी के हॉर्न अपने आप बजने लगे. तिलक नगर की पूजा ने बताया कि उन्होंने 2012 में भी इसी तरह का भूकंप का झटका महसूस किया था.

एनसीएस की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर में काफी तेज महसूस हुए. एक ही घंटे में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, वेस्टर्न यूपी से एनसीएस की वेबसाइट और ऐप पर झटके महसूस होने की 191 लोगों ने रिपोर्ट की. वहीं BhooKamp ऐप और www.seismo.gov में एक घंटे के दौरान ही 190 रिस्पॉन्स मिले.

पीक ग्राउंड एक्सेलेरेशन (PGA) सबसे अधिक कहां महसूस हुआ:

- एनपीएल, दिल्ली: 0.049 (केंद्र से दूरी 6 किलोमीटर)

- जामिया यूनिवर्सिटी: 0.058 (केंद्र से दूरी 10 किलोमीटर)

- नरेला: 0.068 (केंद्र से दूरी 24 किलोमीटर)

अधिकारी के अनुसार, आमतौर पर भूकंप के साथ तेज आवाज चीजों के गिरने की आती है. लेकिन, इस मामले में भूकंप की गहराई कम थी. इस वजह से यह संभव है कि लोगों को भूकंपीय तरंगों की आवाज महसूस हुई हो. कुछ जगहों पर यह भी संभव है कि लोगों को भागने या लोगों का शोर सुनाई दिया हो और उन्हें भूकंप की तेज आवाज का भ्रम हुआ हो. स्पष्ट तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता.

डॉ. ओपी मिश्रा के अनुसार, इस तरह के छोटे-छोटे भूकंप अगर आते रहते हैं, तो बड़े भूकंपों की संभावना कम हो जाती है. इससे जमीन के अंदर जब चट्टानें आपस में हल्की तीव्रता से टकराती हैं तो इससे जमीन के नीचे एकत्रित हुई ऊर्जा का अंश निकल जाता है. समय-समय पर ऐसा होने से सख्त चट्टाने टूट जाती हैं और ज्यादा ऊर्जा एकत्रित होने की संभावना नहीं रहती.

राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में सोमवार सुबह आए तीव्र भूकंप ने राज्य सरकार और इसके स्थानीय निकायों के सामने एक बार फिर उस सवाल को ला खड़ा किया, जिसके जवाब का इंतजार दिल्ली हाई कोर्ट 2023 से कर रहा है. हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी की प्रमुख इमारतों में भूकंपीय स्थिरता की जांच के लिए दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया था कि अपनी इमारतों के साथ अस्पतालों, कॉलेजों और स्कूल इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराएं, जिसकी स्थिति 2025 तक भी स्पष्ट नहीं है.

चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने 5 दिसंबर, 2023 को पारित आदेश में कहा, "चूंकि, सरकारी अस्पताल और इमारत ही वो जगह होंगी जहां भूकंप की स्थिति में लोग आश्रय लेंगे या शरण मांगेंगे, इसलिए यह अदालत दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों को अपनी सभी इमारतों के साथ-साथ अस्पतालों, कॉलेजों और स्कूलों आदि का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देती है." कोर्ट ने आदेश में साफ कहा था कि इसके लिए जो भी कदम उठाने हैं वो तीन महीने के भीतर उठाए जाएं. हालांकि, तब से लेकर अब तक इस मामले में कोई खास कार्रवाई होती नजर नहीं आई. दिल्ली सरकार का तब कहना था कि शहर की सभी इमारतों को सिस्मिक एक्टिविटी प्रूफ बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इस काम को फेजवाइज तरीके से पूरा किया जा सकता है. दिल्ली सरकार का तब कहना था कि दिल्ली में तमाम पुरानी इमारतें होने के साथ अनधिकृत निर्माण और अनधिकृत कॉलोनियों की भी समस्या है.

मौजूदा कार्यवाही एडवोकेट अर्पित भार्गव की याचिका पर हो रही है, जिन्होंने तब दावा किया था कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता बहुत खराब है. तेज भूकंप आने पर यहां बड़े पैमाने पर तबाही मच सकती है. इस मामले में प्रशासन द्वारा बार-बार समय मांगे जाने और कार्यवाही के लंबे समय से लटके होने पर निराशा जताते हुए एडवोकेट भार्गव ने कहा कि "आज हम 2025 में हैं, लेकिन अभी तक हमें यह नहीं पता कि सरकार कितनी इमारतों का ऑडिट कर पाई." उन्होंने आरोप लगाया कि कोई भी इस मामले में गंभीर नजर नहीं आ रहा है.

दिल्ली सरकार ने पूर्व में कहा था कि ढांचागत सुरक्षा की जांच के लिए जिन 10000 इमारतों को चुना गया है, उनमें से 6000 को नोटिस जारी कर स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट दिखाने के लिए कहा गया. 144 असुरक्षित इमारतों को गिरा दिया गया है. 4,655 इमारतों के स्ट्रक्चरल ऑडिट का काम पूरा हो चुका है, जबकि 89 इमारतों में रिट्रोफिटिंग का काम प्रगति पर है.

भूकंप के साथ तेज आवाज क्यों आई, इस बारे में अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर भूकंप के साथ तेज आवाज चीजें गिरने से आती है. लेकिन इस बार भूकंप की गहराई कम थी. इसलिए हो सकता है कि लोगों को भूकंपीय तरंगों की आवाज सुनाई दी हो. कुछ लोगों को भागने या लोगों के शोर की वजह से भी तेज आवाज का भ्रम हो सकता है.

डॉ. ओपी मिश्रा ने कहा कि छोटे-छोटे भूकंप आते रहने से बड़े भूकंपों की संभावना कम हो जाती है. जब जमीन के अंदर चट्टानें आपस में टकराती हैं, तो ऊर्जा निकलती है. इससे चट्टानें टूट जाती हैं और ज्यादा ऊर्जा जमा नहीं हो पाती.

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इमारतों का सेफ्टी ऑडिट करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकारी अस्पताल और इमारतें ही ऐसी जगह हैं जहां लोग भूकंप आने पर शरण लेंगे. इसलिए सरकार को सभी इमारतों, अस्पतालों, कॉलेजों और स्कूलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना चाहिए और रिपोर्ट जमा करनी चाहिए. कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने का समय दिया था. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई खास काम नहीं हुआ है. दिल्ली सरकार का कहना है कि वह सभी इमारतों को भूकंप से सुरक्षित बनाने के लिए काम कर रही है, लेकिन यह काम धीरे-धीरे होगा. सरकार का यह भी कहना है कि दिल्ली में कई पुरानी इमारतें हैं और अनधिकृत निर्माण भी हैं.

एडवोकेट अर्पित भार्गव ने कहा कि दिल्ली में इमारतों की हालत बहुत खराब है. तेज भूकंप आने पर यहां बहुत नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है और कोई भी यह नहीं बता पा रहा है कि कितनी इमारतों का ऑडिट हो चुका है.

दिल्ली सरकार ने पहले कहा था कि 10000 इमारतों को सुरक्षा जांच के लिए चुना गया है. इनमें से 6000 इमारतों को नोटिस जारी करके स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट मांगा गया है. 144 असुरक्षित इमारतों को गिरा दिया गया है. 4,655 इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट हो चुका है और 89 इमारतों में रिट्रोफिटिंग का काम चल रहा है.

इस खबर से पता चलता है कि दिल्ली में भूकंप का खतरा बना हुआ है और सरकार को इमारतों की सुरक्षा के लिए जल्द कदम उठाने चाहिए.

मध – केसांना चमक, मऊपणा आणि सुरक्षा देणारा घटक
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