एचडीएफसी बैंक में बिकवाली, विदेशी कोषों की निकासी से सेंसेक्स 288 अंक टूटा
बुधवार को शेयर बाजार में हल्की गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 288 अंक नीचे आ गया, जबकि निफ्टी में भी गिरावट दर्ज की गई। एचडीएफसी बैंक और रिलायंस के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। विदेशी निवेशकों ने भी बाजार से अपने पैसे निकालने का फैसला किया है। फिर भी, देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है।
Indian Stock Market Plunge
( Image credit : TIL Creatives )
बुधवार को शेयर बाजार में शुरुआती तेजी टिक नहीं पाई. सेंसेक्स 288 अंक गिर गया और निफ्टी में 88 अंकों का नुकसान हुआ. एचडीएफसी बैंक, एलएंडटी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में बिकवाली का दबाव रहा. विदेशी निवेशकों ने पैसा निकाला और ग्लोबल मार्केट में भी मिला-जुला रुख रहा. इससे बाजार में गिरावट आई. हालांकि, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और सरकारी खर्च बढ़ने से बाजार को सपोर्ट मिल रहा है. जानकारों का कहना है कि कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजों पर सबकी नजर है.
बुधवार को बीएसई सेंसेक्स 287.60 अंक गिरकर 83,409.69 पर बंद हुआ. यह 0.34 प्रतिशत की गिरावट थी. कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 546.52 अंक तक गिर गया था. एनएसई निफ्टी 88.40 अंक यानी 0.35 प्रतिशत गिरकर 25,453.40 पर बंद हुआ.
सेंसेक्स में बजाज फिनसर्व, लार्सन एंड टुब्रो, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और कोटक महिंद्रा बैंक को नुकसान हुआ. टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट और ट्रेंट के शेयरों में फायदा हुआ.
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, "ग्लोबल संकेतों के मिले-जुले होने और शुल्क छूट की समयसीमा खत्म होने से पहले निवेशक सतर्क हैं. बाजार का ध्यान अब कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजों पर है, जिससे काफी उम्मीदें हैं." इसका मतलब है कि दुनिया भर के बाजारों से मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं. निवेशकों को डर है कि कहीं शुल्क में छूट खत्म न हो जाए. इसलिए वे थोड़ा संभलकर चल रहे हैं. अब सबकी नजर कंपनियों के नतीजों पर है. लोगों को उम्मीद है कि कंपनियों के नतीजे अच्छे रहेंगे.
उन्होंने आगे कहा, "मजबूत अर्थव्यवस्था और सरकारी खर्च बढ़ने से बाजार में मजबूती बनी हुई है. लेकिन, आने वाले समय में सतर्क रहना जरूरी है." इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और सरकार भी खूब खर्च कर रही है. इससे बाजार को सहारा मिल रहा है. लेकिन, फिर भी थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है.
भारत के विनिर्माण क्षेत्र की बात करें तो जून में यह 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 58.4 पर पहुंच गया. इससे पता चलता है कि उत्पादन और नए ऑर्डर तेजी से बढ़ रहे हैं. साथ ही, रोजगार भी बढ़ रहा है. यह जानकारी एक मासिक सर्वे में सामने आई है.
एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक मई में 57.6 था. यह इंडेक्स बताता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कैसा चल रहा है.
इसके अलावा, जून में जीएसटी कलेक्शन 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा. पिछले साल इसी महीने में यह 1,73,813 करोड़ रुपये था. जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, जो सरकार को मिलता है.
एशिया के बाजारों की बात करें तो दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहे. वहीं, हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स फायदे में रहा.
यूरोप के बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेजी देखी गई. अमेरिकी बाजार मंगलवार को मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे.
ग्लोबल तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.86 प्रतिशत बढ़कर 67.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. ब्रेंट क्रूड एक तरह का कच्चा तेल है, जिसकी कीमत बढ़ गई है.
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,970.14 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. एफआईआई वो निवेशक होते हैं जो दूसरे देशों से आकर भारत में निवेश करते हैं.
मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 90.83 अंक मजबूत हुआ था, जबकि एनएसई निफ्टी में 24.75 अंक की तेजी रही थी.
कुल मिलाकर, बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.
बुधवार को बीएसई सेंसेक्स 287.60 अंक गिरकर 83,409.69 पर बंद हुआ. यह 0.34 प्रतिशत की गिरावट थी. कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 546.52 अंक तक गिर गया था. एनएसई निफ्टी 88.40 अंक यानी 0.35 प्रतिशत गिरकर 25,453.40 पर बंद हुआ.
सेंसेक्स में बजाज फिनसर्व, लार्सन एंड टुब्रो, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और कोटक महिंद्रा बैंक को नुकसान हुआ. टाटा स्टील, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट और ट्रेंट के शेयरों में फायदा हुआ.
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, "ग्लोबल संकेतों के मिले-जुले होने और शुल्क छूट की समयसीमा खत्म होने से पहले निवेशक सतर्क हैं. बाजार का ध्यान अब कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजों पर है, जिससे काफी उम्मीदें हैं." इसका मतलब है कि दुनिया भर के बाजारों से मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं. निवेशकों को डर है कि कहीं शुल्क में छूट खत्म न हो जाए. इसलिए वे थोड़ा संभलकर चल रहे हैं. अब सबकी नजर कंपनियों के नतीजों पर है. लोगों को उम्मीद है कि कंपनियों के नतीजे अच्छे रहेंगे.
उन्होंने आगे कहा, "मजबूत अर्थव्यवस्था और सरकारी खर्च बढ़ने से बाजार में मजबूती बनी हुई है. लेकिन, आने वाले समय में सतर्क रहना जरूरी है." इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और सरकार भी खूब खर्च कर रही है. इससे बाजार को सहारा मिल रहा है. लेकिन, फिर भी थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है.
भारत के विनिर्माण क्षेत्र की बात करें तो जून में यह 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 58.4 पर पहुंच गया. इससे पता चलता है कि उत्पादन और नए ऑर्डर तेजी से बढ़ रहे हैं. साथ ही, रोजगार भी बढ़ रहा है. यह जानकारी एक मासिक सर्वे में सामने आई है.
एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक मई में 57.6 था. यह इंडेक्स बताता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कैसा चल रहा है.
इसके अलावा, जून में जीएसटी कलेक्शन 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा. पिछले साल इसी महीने में यह 1,73,813 करोड़ रुपये था. जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, जो सरकार को मिलता है.
एशिया के बाजारों की बात करें तो दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहे. वहीं, हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स फायदे में रहा.
यूरोप के बाजारों में दोपहर के कारोबार में तेजी देखी गई. अमेरिकी बाजार मंगलवार को मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे.
ग्लोबल तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.86 प्रतिशत बढ़कर 67.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. ब्रेंट क्रूड एक तरह का कच्चा तेल है, जिसकी कीमत बढ़ गई है.
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने मंगलवार को 1,970.14 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. एफआईआई वो निवेशक होते हैं जो दूसरे देशों से आकर भारत में निवेश करते हैं.
मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 90.83 अंक मजबूत हुआ था, जबकि एनएसई निफ्टी में 24.75 अंक की तेजी रही थी.
कुल मिलाकर, बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.